What scientific mystery is hidden in that path?
How was that route known thousands of years ago?
रावण ने माँ सीताजी का अपहरण पंचवटी (नासिक, महाराष्ट्र) से किया और पुष्पक विमान द्वारा हम्पी (कर्नाटक), लेपक्षी (आँध्रप्रदेश) होते हुए श्रीलंका पहुंचा.
आश्चर्य होता है जब हम आधुनिक तकनीक से देखते हैं कि नासिक, हम्पी, लेपक्षी और श्रीलंका बिलकुल एक सीधी लाइन में हैं. अर्थात ये पंचवटी से श्रीलंका जाने का सबसे छोटा रास्ता है।
It is surprising when we see with the help of modern technology that Nashik, Hampi, Lepakshi and Sri Lanka are in a straight line. That is, this is the shortest route to go to Sri Lanka from Panchvati.
अब आप ये सोचिये कि उस समय Google Map नहीं था जो Shortest Way बता देता. फिर कैसे उस समय ये पता किया गया कि सबसे छोटा और सीधा मार्ग कौन सा है?
Now imagine that at that time there was no Google Map which could tell the shortest way. Then how was it known at that time which was the shortest and direct route?
या अगर भारत वि रोधियों के अहम् संतुष्टि के लिए मान भी लें कि चलो रामायण केवल एक महाकाव्य है जो वाल्मीकि ने लिखा तो फिर ये बताओ कि उस ज़माने में भी गूगल मैप नहीं था तो रामायण लिखने वाले वाल्मीकि को कैसे पता लगा कि पंचवटी से श्रीलंका का सीधा छोटा रास्ता कौन सा है? महाकाव्य में तो किन्ही भी स्थानों का ज़िक्र घटनाओं को बताने के लिए आ जाता।
Or if, for the sake of ego satisfaction of the anti-India people, we accept that Ramayana is just an epic written by Valmiki, then tell me, even in those times when Google Maps did not exist, how did Valmiki, who wrote Ramayana, know which was the shortest direct route from Panchavati to Sri Lanka? In the epic, mention of any place would be made to narrate the events.
लेकिन क्यों वाल्मीकि जी ने सीता हरण के लिए केवल उन्हीं स्थानों का ज़िक्र किया जो पुष्पक विमान का सबसे छोटा और बिलकुल सीधा रास्ता था?
But why did Valmiki mention only those places for the abduction of Sita which were the shortest and the most direct route for Pushpak aircraft?
ये ठीक वैसे ही है कि आज से 500 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास जी को कैसे पता कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी क्या है? (जुग सहस्त्र जोजन पर भानु = 152 मिलियन किमी – हनुमानचालीसा), जबकि नासा ने हाल ही के कुछ वर्षों में इस दूरी का पता लगाया है.
This is similar to how Tulsidas Ji knew the distance of the Sun from Earth 500 years ago (Juga Sahastra Jojana Par Bhanu = 152 million km – Hanuman Chalisa), while NASA has discovered this distance only in the recent years.
अब आगे देखिये… . पंचवटी वो स्थान है जहां प्रभु श्री राम, माता जानकी और भ्राता लक्ष्मण वनवास के समय रह रहे थे.
Now look ahead… , Panchavati is the place where Lord Shri Ram, Mother Janaki and brother Lakshman were living during their exile.
यहीं शूर्पणखा आई और लक्ष्मण से विवाह करने के लिए उपद्रव करने लगी। विवश होकर लक्ष्मण ने शूपर्णखा की नाक यानी नासिका का ट दी. और आज इस स्थान को हम नासिक (महाराष्ट्र) के नाम से जानते हैं। आगे चलिए…
This is where Shurpanakha came and started creating a ruckus to marry Lakshman. Helplessly, Lakshman cut off Shurpanakha’s nose. And today we know this place as Nashik (Maharashtra). Let’s move ahead…
पुष्पक विमान में जाते हुए सीताजी ने नीचे देखा कि एक पर्वत के शिखर पर बैठे हुए कुछ वानर ऊपर की ओर कौतुहल से देख रहे हैं तो सीता ने अपने वस्त्र की कोर फाड़कर उसमें अपने कंगन बांधकर नीचे फ़ेंक दिए, ताकि राम को उन्हें ढूढ़ने में सहायता प्राप्त हो सके.
While going in the Pushpak plane, Sitaji looked down and saw that some monkeys sitting on the top of a mountain were looking upwards with curiosity. Sita tore the corner of her dress and tied her bracelets in it and threw it down so that Ram could get help in finding them.
जिस स्थान पर सीताजी ने उन वानरों को ये आभूषण फेंके वो स्थान था ‘ऋष्यमूक पर्वत’ जो आज के हम्पी (कर्नाटक) में स्थित है. .
The place where Sitaji threw these ornaments to the monkeys was ‘Rishyamuk Mountain’ which is situated in present day Hampi (Karnataka).
इसके बाद… वृद्ध गिद्धराज जटायु ने रोती हुई सीताजी को देखा, देखा कि कोई राक्षस किसी स्त्री को बलात अपने विमान में लेके जा रहा है। .
After this… the old vulture king Jatayu saw Sitaji crying, he saw that some demon was forcibly taking a woman in his plane.
जटायु ने सीताजी को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध किया. रावण ने तलवार से जटायु के पंख का ट दिए. . इसके बाद जब राम और लक्ष्मण सीताजी को ढूंढते हुए पहुंचे तो उन्होंने दूर से ही जटायु को सबसे पहला सम्बोधन ‘हे पक्षी’ कहते हुए किया. और उस जगह का नाम दक्षिण भाषा में ‘लेपक्षी’ (आंधप्रदेश) है। .
Jatayu fought with Ravana to free Sitaji. Ravana cut off Jatayu’s wings with his sword. , After this, when Ram and Lakshman reached in search of Sitaji, they first addressed Jatayu from a distance as ‘Hey bird’. And the name of that place in the southern language is ‘Lepakshi’ (Andhra Pradesh).
अब क्या समझ आया आपको? पंचवटी—हम्पी—लेपक्षी—श्रीलंका. सीधा रास्ता.सबसे छोटा रास्ता. हवाई रास्ता, यानि हमारे जमाने में विमान होने के सबूत . गूगल मैप का निकाला गया फोटो नीचे है.
What did you understand now? Panchvati — Hampi — Lepakshi — Sri Lanka. Direct route. Shortest route. Air route, i.e. evidence of the existence of aircraft in our times , The photo taken from Google Map is below
अपने ज्ञान-विज्ञान, संस्कृति को भूल चुके भारतबन्धुओं रामायण कोई मायथोलोजी नहीं है. . ये महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया सत्य इतिहास है. जिसके समस्त वैज्ञानिक प्रमाण आज उपलब्ध हैं. .
O Indian brothers who have forgotten their knowledge, science and culture, Ramayana is not a mythology. , This is the true history written by Maharishi Valmiki. All scientific evidence of which is available today. ,
इसलिए जब भी कोई वा मपंथी हमारे इतिहास, संस्कृति, साहित्य को मायथोलोजी कहकर लोगों को भ्रमित करने का या खुद को विद्वान दिखाने का प्रयास करे तो उसको पकड़कर बिठा लेना और उससे इन सवालों के जवाब पूछना. एक का भी जवाब नहीं दे पायेगा। सत्य सनातन धर्म की जय साभार
Therefore, whenever any leftist tries to confuse people by calling our history, culture, literature mythology or tries to show himself as a scholar, then catch hold of him and ask him the answers to these questions. He will not be able to answer even one of them. Victory to the true Sanatan Dharma , Courtesy